Monday, July 8, 2013

थाईलैण्‍ड से कम्‍बोडिया की ओर

पटाया में हमें एक स्‍थान और दिखाया गया और वह था - ज्‍वेल्‍स फेक्‍ट्ररी। किस प्रकार से हीरे जवाहरात धरती से निकलते हैं, फिल्‍म शो के माध्‍यम से दिखाया गया और फिर कीमती जवाहरात से लदी पड़ी फेक्‍ट्री को दिखाया गया। हीरे-जवाहरात से इतनी सुन्‍दर कलाकृतियां बना रखी थी और उनका मूल्‍य लाखों में था। फोटो खींचने की सख्‍त मनाही थी। किसी को भी यदि वहाँ खरीददारी करनी हो तो जेब भारी-भरकम होनी चाहिए। सभी प्रकार के पत्‍थर वहाँ मौजूद थे। हीरा, पन्‍ना, माणक, वैदूर्य और न जाने क्‍या क्‍या। फटी आँखों से देखने के अलावा हमारे पास और कोई विकल्‍प नहीं था। एक और स्‍थान था पटाया-पार्क, जहाँ जंपिंग टॉवर था। समयाभाव के कारण वहाँ भी टॉवर के ऊपर हम नहीं जा पाए, बस नीचे से ही देखते रहे। बहुत विशाल और ऊँचाई पर स्थित था टॉवर। वहीं नीचे घूमते रहे और एक पेड़ पर नजर ठहर गयी। पेड़ फलों से लदा था लेकिन हमारे लिए अन्‍जान था। बाद में गाइड ने बताया कि यह सारा फ्रूट है।

पोस्‍ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -http://sahityakar.com/wordpress/

3 comments:

Rajesh Kumari said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ८ /७ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

Ramakant Singh said...

सुन्दर संस्मरण और राष्ट्रगान का सम्मान बहुत खूब

अजित गुप्ता का कोना said...

आपका आपका।