Sunday, August 16, 2015

छैनी-हथौड़ी और कागज-कलम ही हैं इतिहास की संजीवनी

गाँव-गाँव में पुरातन गाथायें कहीं भजनों में तो कहीं गीतों में संचित हैं। कहीं प्रस्‍तरों में आलेख उत्‍कीर्ण हैं, तो कहीं भित्ती चित्रों के माध्‍यम से हमारी सभ्‍यता और संस्‍कृति को दर्शाया गया है। लाखों राजाओं की गौरव-गाथा आपको गीतों के माध्‍यम से सुनने को मिल जाएंगी, आज ये ही गाथायें हमारा इतिहास बन गयी हैं। इस पोस्‍ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%9B%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A4%A5%E0%A5%8C%E0%A5%9C%E0%A5%80-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%9C-%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%AE-%E0%A4%B9%E0%A5%80-%E0%A4%B9/

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